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Wednesday, May 14, 2008
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मन की सारी संवेदनायें जब खुद के लिये शब्द ढूंढने को निकलती है तो अंत मे सिर्फ एक ही शब्द मिलता है और वो है 'अपूर्ण (अधूरा) ' । मै नहीं जानता कि यही एहसास हर किसी को होता है या नहीं, पर कभी-कभी जब रात के सन्नाटे में मै काले और शांत आकाश को देखता हूँ तो जाने क्यों एक अजीब से अधूरेपन का एहसास दिल को चाक कर जाता है। और फिर शुरु होता है सिलसिला खुद से सवाल-जवाब का। पर सबसे बडा सवाल यही होता है कि..... आखिर क्यो हैं ये एहसास........एक अधूरापन.......एक Incompleteness....