Saturday, December 15, 2007

वक़्त

....ऐसे तो कई बार जिन्दगी ऐसी जगह पर ला के खडा कर देती है जहाँ से आगे बढ़ना बहुत मुश्किल सा लगता है पर ये तो हम भी जानते हैं की इसका कोई इलाज नहीं हैं सिर्फ ही एक तरीका है ..... इंतजार .....कि कभी तो सब कुछ ......

पर कभी कभी जब बहुत ज्यादा परेशान हो जाता हूँ तो एक अजीब सा गुस्सा जाने किस्से , शायद जिन्दगी से ही रहता है कि मैन क्यु जियूँ तुम्हे ? कई बार तो लगता है जैसे हम किसी 'जानवर' कि तरह है कहीं चलने का मन नहीं है पर कोई है जो जबरदस्ती हमारे गले में बधि रस्सी को घींच के हमे घसीट के ही सही पर चलने के लिए मजबूर कर रहा है और हम कभी मन से तो कभी बेमन से बस चलते चले जाते हैं !
पहले मैं ये सोच के परेशान रहता था कि मेरे गले कि रस्सी कौन खीच रहा है क्यों मुझे चलने को मजबूर कर रहा है! पर अब जब सोचता हूँ तो लगता है ये कोई नहीं बल्कि खुद 'समय' है जो हमे कहीं एक जगह रहने नहीं देता पर शायद ये अच्छा ही है वरना हम लोग शायद उस जगह से कभी हिल भी नहीं पाएंगे जहाँ हमे कई बार कुछ दर्द ऐसे हालत में छोड़ जाते हें जहाँ चलना तो दूर सोचना समझना भी संभव नहीं होता ! कम से कम ये 'वक़्त' हमे वहाँ से निकालने कि कोशिश तो करता है ...